रंगीली गली में शंकरजी ने गोपी रूप में श्रीकृष्ण से खेली थी होली

लठामार होली से पूर्व रंगीली गली में भगवान शंकर ने श्रीकृष्ण से जमकर होली खेली थी। श्रीकृष्ण के बाघंबर ओढ़े छद्म रूप को शंकरजी ने पहचान कर गोपी का रूप धारण किया और राधा के साथ मिलकर श्रीकृष्ण से होली खेली थी। इसी से चलते भगवान शंकर रंगेश्वर कहलाए।


रंगीली गली में रंगेश्वर महादेव का मंदिर है। होली की पहली व दूसरी चौपाई रंगीली गली स्थित रंगेश्वर महादेव तक निकाली जाती है। राधा-कृष्ण की अनुराग भरी होली की आनंदित करने वाली अनेक लीलाएं हैं। लठामार होली से पूर्व राधा और उनकी सखियों के साथ छलिया कृष्ण ने छद्म रूप रख कर होली खेली। शंकर भगवान ने श्रीकृष्ण को पहचान लिया और गोपी का रूप धारण कर गोपियों के साथ श्रीकृष्ण से होली खेली और राधारानी का सहयोग किया।
गोपी बने शंकरजी ने कृष्ण व उनके सखाओं को भगा दिया। सभी गोपियां, गोपी बने शंकरजी की प्रशंसा करती रहीं। उसी लीला के चलते रंगीली गली में रंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण हुआ। आज भी उसी परंपरा को निभाते हुए लाडली जी महल से रंगेश्वर महादेव मंदिर तक होली की चौपाई निकाली जाती है।
लाडली जी महल से होली की प्रथम चौपाई आज
कस्बे में प्रथम चौपाई 22 फरवरी को लाडली जी मंदिर से शुरू होकर नागाजी कुंज, दादी बाबा मंदिर, वृषभानु जी मंदिर, अष्ट सखी मंदिर होते हुए रंगीली गली स्थित रंगेश्वर महादेव मंदिर तक निकलेगी।