अकादमी ने उर्दू के मशहूर शायर आनंद नारायण मुल्ला को किया याद

साहित्य अकादमी ने उर्दू के मशहूर शायर, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ आनंद नारायण मुल्ला की विरासत को याद करते हुए परिसंवाद कार्यक्रम का आयोजन कराया। इस मौके पर आनंद नारायण मुल्ला की पौत्री डॉ. अमिता मुल्ला वाटल ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि साहित्य अकादमी ने उनकी विरासत को एक बार फिर याद किया। उन्होंने उनके कई संस्मरणों को पढ़कर सुनाया। वहीं मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति व योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉ. सैयदा सैयदैन हमीद ने कहा कि उनकी शायरी पर किसी का प्रभाव नहीं था। उन्होंने अपनी अलग राह बनाई।


प्रख्यात उर्दू लेखक शाफे किदवई ने कहा कि मानवता पर मंडरा रहे खतरे को आनंद नारायण मुल्ला ने पहले ही पहचान लिया था। हमें उनकी शायरी को फिर से परखने और उस पर विचार-विमर्ष करने की आवश्यकता है। प्रतिष्ठित आलोचक और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. गोपी चंद नारंग ने कहा कि आनंद नारायण मुल्ला ने हमेशा मानवतावाद को प्राथमिकता दी। जो आने वाली नस्लों को राह दिखाएगी। इस कार्यक्रम में कई अन्य लेखक व आलोचक भी मौजूद थे।